बिलासपुर : स्मार्ट सिटी कंपनियों द्वारा निर्वाचित नगर निगम के अधिकारों को हड़पने का विरोध करते हुए दायर जनहित याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है अंतिम सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बेंच मे 3 दिनों तक चली इसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया...
स्मार्ट सिटी कंपनियों की आड़ में निर्वाचित नगर निगम के सारे अधिकारों को हस्तगत कर लेने से संविधान और नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है इस आधार पर अधिवक्ता विनय दुबे ने जनहित याचिका लगाई थी कंपनियों के गठन में निर्वाचित महापौर या किसी भी चुने हुए व्यक्ति को कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में नहीं रखने को भी चुनौती दी गई है। कंपनियों का स्वामित्व 50-50 फीसदी राज्य सरकार और नगर निगम का होने के बावजूद सारे डायरेक्टर राज्य सरकार के अधिकारी बनाए गए हैं याचिका में स्थानीय निकाय को कमजोर करने का प्रयास बताते हुए कहा गया है कि ऐसा करके संविधान के 74 वें संशोधन को निष्प्रभावी किया जा रहा है,जिसमें स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा देते हुए शासन व्यवस्था बनाई गई है....
3 दिनों तक चली बहस 3 मई को प्रारंभ हुई थी जिसमें पहले दिन याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और बिलासपुर रायपुर स्मार्ट सिटी कंपनियों की तरफ से अधिवक्ता सोमेश बजाज ने बहस की 4 मई को बिलासपुर रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा और मेयर इन काउंसिल तथा राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ताओं ने बहस की 5 मई को याचिकाकर्ता ने अपना प्रतिउत्तर दिया सुनवाई के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है....