Raipur news : एक वक्त था जब रायपुर शहर में 300 से ज्यादा तालाब थे ये इतिहास में दर्ज है। 2014 में वन विभाग का एक रिसर्च हुआ था, जिसमें तालाबों की संख्या 227 बताई गई थी अब 2023 में नगर निगम ने एक आंकड़ा दिया है, जिसके मुताबिक शहर में तालाबों की संख्या 109 के आसपास रह गई है यानि लगातार तालाब घटते जा रहे हैं....
जब हम इतिहास को पढ़ते हैं तो हर जगह उल्लेख मिलता है कि भूजल स्तर बढ़ाने के लिए जमीदारों ने तालाब खुदवाए थे आज इसकी जमीनी हकीकत देखते हैं तो पता चलता है, जहां जहां तालाबों में अवैध कब्जे किए गए, वहां तालाब नष्ट हो गए और वहां भूजल स्तर काफी नीचे चला गया....
शहर का महाराजबंध तालाब एक जमाने में करीब 100 एकड़ का था 85-90 एकड़ में पानी भरा रहता था यह सिकुड़कर करीब 33 एकड़ का बच गया है चारों तरफ अवैध कब्जे हो गए सरकारी एजेंसियों ने तालाब के किनारे पक्की रोड बनाकर उसे और छोटा कर दिया...
यहां भूजल स्तर 300 फीट तक चला गया है, जबकि पहले 50 फीट में पानी मिल जाता था इसी तरह टिकरापारा के पास सरयूबांधा तालाब भी करीब 35 एकड़ के आसपास ही बचा है पहले लगभग दोगुना था आसपास कई अवैध कालोनियां बन गईं यहां 250 फीट के आसपास भूजल स्तर है....
ये आंकड़े केंद्रीय भूजल सर्वेक्षण विभाग के हैं आज जहां पर शास्त्री बाजार है, वहां कभी लेडी तालाब हुआ करता था श्याम टाकीज डबरी में आज इनडोर और आउटडोर स्टेडियम खड़ा है गोगांव का पचरी, नया और गोगांव तालाब सूखने और पटने के बाद उद्योग विभाग के पास है इन सभी जगह भूजल स्तर 300 से 400 फीट नीचे चला गया है कुछ जगह 700 फीट नीचे पानी है....
54 तालाब पूरी तरह सूख गए
छत्तीसगढ़ वन अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एसएफईटीआई) ने कुछ समय पहले रायपुर और नया रायपुर में तालाबों और झीलों की स्थिति पर रिसर्च किया केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और भारतीय वन प्रबंध संस्थान भोपाल के सहयोग से रिसर्च हुआ रिसर्च में ही शहर में 54 प्रमुख तालाबों के सूखने का पता चला इनमें ये तालाब शामिल थे....
महाराजबंध - 100 एकड़ में खुदवाया था, अब 35 एकड़ ही बाकी, किनारों पर कब्जे
दूधाधारी मठ के सामने महाराजबंध तालाब को दानी परिवार ने खुदवाया था परिवार के अजय दानी ने बताया कि तब इसका कुल रकबा करीब 100 एकड़ था अब यह करीब 35 एकड़ के आसपास बच गया है तालाब का बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे सूखकर सिकुड़ गया दलदली हो गया तालाब के किनारे-किनारे लोग बसने लगे इससे तालाब धीरे-धीरे छोटा होता गया राज्य बनने के बाद तालाब को बड़ी तेजी से पाटा गया कैलाशपुरी ढाल से मठपारा की तरफ जाने वाले ढाल में तालाब को पाटकर बड़े कांप्लेक्स और कालोनियां बसा ली गईं नगर निगम ने कुछ साल पहले तालाब के एक हिस्से में अवैध रूप से बनाई गई झोपड़ियों को हटाकर वहां पर करीब 100 फीट चौड़ी रोड बनाई है इस रोड को बनाने को लेकर भी विवाद हुआ कि तालाब का बड़ा हिस्सा पाट दिया गया है एनजीटी में इसे लेकर याचिका भी लगी....
सरयूबांधा - 33 एकड़ बचा, बहुत बड़े हिस्से में मकान-कब्जे, विवाद हाईकोर्ट पहुंचा
करीब 135 साल पहले सरयूप्रसाद अग्रवाल ने टिकरापारा के पास सरयूबांधा तालाब को सार्वजनिक उपयोग के लिए खुदवाया था परिवार का कहना है कि इसके मालिकाना हक को लेकर विवाद हाईकोर्ट में लंबित है यह तालाब भी काफी बड़ा था इसके बड़े हिस्से में पुलिस लाइन बन चुका है आसपास दो-तीन कालोनियां बस चुकी हैं भूमाफिया तालाब को पाटकर खत्म कर रहे हैं सरयूबांधा तालाब विकास समिति के अध्यक्ष माधव प्रसाद यादव ने कहा कि रायपुर स्मार्ट सिटी अब इस तालाब को बचाने के लिए योजना तैयार कर रही है हालांकि अवैध कब्जों और मकानों को लेकर प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं है प्रोफेसर कालोनी में भैया तालाब की देखरेख अग्रवाल परिवार कर रहा है...
मयंक चतुर्वेदी, कमिश्नर रायपुर निगम
स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम किये जा रहे हैं महाराजबंध, नरैया और खोखो में एसटीपी लगा रहे कहीं भी नए अवैध कब्जे नहीं होने दिया जा रहा है कार्रवाई हो रही है....