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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : नगर निगम के अफसर व कर्मचारियों का नगर पंचायत में ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं , देखें पूरी खबर

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नगर निगम के सब इंजीनियर के नगर पंचायत में तबादला करने के आदेश को गलत बताते हुए निरस्त कर दिया है। जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि राज्य शासन को नगर निगम के अफसर व कर्मचारियों का नगर पंचायत में ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट के इस आदेश को एप्रुवल फॉर ऑर्डर (AFR) माना गया है। यानि की इस फैसले को न्याय दृष्टांत माना जाएगा। मामला रायगढ़ नगर निगम का है।

दिलीप उरांव रायगढ़ नगर निगम में सब इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। राज्य शासन के नगरीय प्रशासन मंत्रालय ने उनका स्थानांतरण नगर पंचायत चन्द्रपुर में कर दिया। अपने ट्रांसफर आदेश से परेशान होकर उन्होंने अधिवक्ता विकास दुबे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी।

इसमें बताया गया कि याचिकाकर्ता मूल रूप से नगर निगम के अधिकारी हैं। ऐसे में उनकी सेवाएं नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 58 के अनुसार नगर निगम के नियंत्रण में ली जा सकती है। इस अधिनियम के अनुसार उनका स्थानांतरण नगर पंचायत में करने का कोई भी प्रावधान नहीं है। याचिका में बताया गया कि नगर निगम के कर्मचारियों को नगर पंचायत में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्कों को सही माना है। जस्टिस संजय के अग्रवाल ने नगर निगम अधिनियम के खिलाफ तबादला मानकर आदेश को निरस्त कर दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा-नगर निगम व नगर पंचायत के सेवा नियम है अलग

हाईकोर्ट ने माना है कि नगर निगम का गठन नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के तहत होता है। जबकि नगर पंचायत नगर पालिका अधिनियम 1961 के तहत गठित संस्था है। दोनों संस्थाओं के कर्मचारी सेवा नियम भी अलग अलग हैं। नगर निगम अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। जो राज्य सरकार को नगर निगम के कर्मचारियों का स्थानांतरण नगर पंचायत में करने का अधिकार देता हो। नगर निगम अधिनियम की धारा 58 में भले ही कर्मचारी को एक नगर निगम से दूसरे नगर निगम में प्रतिनियुक्ति की शर्तों पर भेजने का प्रावधान है। लेकिन, नगर निगम के कर्मचारी को नगर पंचायत में तबादला करने का अधिकार राज्य शासन को नहीं है।

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