बिलासपुर : जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों ने एक ऐसा कारनामा किया है, जिसे सालों बाद कोई भूल नहीं पाएगा उन्होंने सम्मान निधि पाने वाले 37 किसानों को जीते जी मार डाला इतना ही नहीं, पूरे गांव के 161 किसानों को पात्र होने के बावजूद अपात्र करार दे दिया सरपंच और दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ किसान सम्मान निधि के लिए भटक रहे किसान जब कलेक्टोरेट पहुंचे तब उन्हें पता लगा कि सरकारी तौर पर उनमें कई लोगों की मृत्यु की हो चुकी है जिन्हें फिर से जीवित करने की फाइल चल रही है....
ये दर्द है खम्हरिया गांव के काठाकोनी में रहने वाले किसानों का यहां रहने वाले लगभग सारे किसान उस सम्मान निधि से वंचित हैं, जो उनका अधिकार है इसकी पहली शिकायत इस गांव के सरपंच ने अधिकारियों की उन्होंने गांव के किसानों को योजना का लाभ दिलाने की मांग की उनकी शिकायत के बाद जब स्थानीय कृषि अधिकारियों ने कृषि विस्तार अधिकारी तखतपुर से इसकी जांच करवाई तो मामला गंभीर मिला खम्हरिया के इन किसानों का किसान सम्मान निधि के बेनिफिशियरी स्टेट्स में इनकी मृत्यु हो जाना लिखा था...
जिसे देखकर अधिकारी एकाएक चौंक गए उन्होंने तत्काल इसकी सूचना बड़े अधिकारियों को दी अब आनन-फानन में उन्हें सम्मान निधि दिलवाने फाइल बढ़ाई गई है। हालांकि 4 साल बाद भी अबतक किसी को इसका लाभ नहीं मिल पाया है कृषि विभाग के उपसंचालक ने राज्य नोडल अधिकारी को वह पोर्टल खोलने की बात कही है, जिनमें इनका नाम दर्ज हैं उसमें ही कथित तौर पर मर चुके 37 किसानों को जिंदा करने और 161 अपात्रों को पात्र करने की बात कही गई है...
कथित मृत्यु की शिकायत
उपसंचालक कृषि पीडी हतेश्वर ने बताया कि गांव के सरपंच नरेंद्र ध्रुव ने 400 किसानों की पोर्टल में मृत्यु हो जाने की बात बताई थी जिसके बाद इसकी जांच शुरू हुई। उन्होंने तखतपुर के कृषि विस्तार अधिकारी गौतम कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा उसमें ही फिलहाल 37 लोगों की मौत हो जाने की जानकारी पोर्टल पर चढ़ने की बात सामने आई है फिलहाल बाकी के मामलों की जांच जारी है उनके मुताबिक जब तक यह स्पष्ट नहीं होता उनकी कब से सम्मान निधि रुकी है बता पाना मुश्किल है....
ई-केवाईसी अनिवार्य करने से जानकारी
शासन ने ई-केवाईसी को सम्मान निधि पाने के लिए अनिवार्य किया जिसके बाद एनआईसी से कंप्यूटर में ऐसे किसानों की गलत एंट्री हो गई जो जीवित थे वे लगातार और उनका पैसा आना बंद हो गया इसके बाद पूरे गांव में हडकंप मच गया गांव के सरपंच ने क्षेत्र के च्वाइस सेंटर से इसकी जांच करवाई तो उन्हें किसानों की मृत्यु और अपात्र हो जाने की स्थिति का पता चला....
इन्हें बताया मृत
गांव के (बदला हुआ नाम) सरजू, साखन, माखन, राजेश्वर, पालेश्वर, राजाराम, राकेश, मनराखन, जीवराखन, सुरेश, मनराखन, रामेश्वर, राजेश्वर, रोहित और अन्य लोगों को जीवित होने के बाद मृत घोषित किया गया है। इसके अलावा इनमें कई ऐसे भी हैं, जिन्हें पात्रता मिलने के बाद अपात्र किया गया...