भिलाई : नगर निगम के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी है यहां शासन से 2700 रुपए प्रति लाइट की स्वीकृति लेने के बाद अधिकारियों ने एक लाइट का 9 से 10 गुना अधिक 25 हजार रुपए का भुगतान कर दिया इस बात की जानकारी होने के बाद पूरे निगम महकमे में हड़कंप मच गया है आयुक्त रोहित व्यास ने जांच के लिए उच्चस्तरीय कमेटी गठित करने की बात कही है....
निगम से मिली जानकारी के मुताबिक नगर निगम भिलाई के जोन चार के तहत वार्ड-30 कन्या स्कूल के पीछे रोशनी की व्यवस्था और अन्य काम किए जा रहे हैं निगम के अधिकारियों ने यहां एलईडी लाइट और ट्यूबलर पोल लगाने के लिए राज्य शासन से स्वीकृत भी ली लाइट लग जाने के बाद शासन को भेजे गए इस्टीमेट से 9 से 10 गुना अधिक राशि खर्च कर दी गई इससे दूसरे काम के लिए बजट नहीं बचा तो अधिकारियों ने काम रोक दिया है जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि शासन को भेजे गए इस्टीमेंट में प्रति एलईडी का दर 27 सौ दर्शाया गया है....
इसकी जगह जोन कमिश्नर ने 25 हजार का भुगतान कर दिया है 9 से 10 गुना अधिक भुगतान करने से पहले उन्हें संशोधन करने के बाद शासन से स्वीकृति लेनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया अब मामले की जांच के लिए भिलाई निगम आयुक्त की ओर से जोन-4 के अधिकारियों से इसकी रिपोर्ट मांगी गई है....
जोन कमिश्नर एक दूसरे के ऊपर फोड़ रहे ठिकरा
जिस जोन 4 के अंतर्गत ये भ्रष्टाचार हुआ है, वर्तमान में वहां की जोन कमिश्नर पूजा पिल्ले हैं जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि ये मामला उनके समय का नहीं है जब तत्कालीन जोन कमिश्नर अमिताभ शर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस्टीमेंट इंजीनियर बनाता है आइटम चेंज होने पर उसकी स्वीकृति भी वही लेता है उनके समय इस्टीमेट बना था भुगतान के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है अगर ऐसा हुआ है तो इसके लिए संबंधित इंजीनियर जिम्मेदार है....
एक ही काम में कर दी आधे से अधिक राशि खर्च
इस्टीमेट के मुताबिक 45 वॉट की 60 एलईडी लगाने में सिर्फ 1 लाख 63 हजार 740 रुपए खर्च आना था जो कमिश्नर ने इसकी जगह 9 गुना अधिक यानी 24 लाख 83 हजार 616 रुपए का भुगतान कर दिया है इसके साथ-साथ पोल और एमसीबी लगाने में करीब 11 लाख से अधिक का खर्च आया है इस तरह से एलईडी और पोल लगाने में ही निगम ने 36 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया है बाकी बचे 24 लाख रुपए में अब उसे 7 काम कराने हैं, जो कि संभव नहीं है....
मामला पकड़ में न आए इसलिए नहीं कराई गई ऑडिट
नगर निगम भिलाई में बिल का भुगतान करने से पहले उसकी ऑडिट की जाती है निगम में हो रहे भ्रष्टाचार को आसान से दबाया जा सके, इसके लिए यहां ऑडिट की व्यवस्था खत्म कर दी गई अब शासन से साल में एक बार ऑडिट करवाया जाता है इस वजह से एक एलईडी का 27 सौ की जगह 25 हजार का भुगतान करने का बिल को ऑडिट से हटा दिया गया...
ये अधिकारी हैं जिम्मेदार
नगर निगम में किसी भी काम का टेंडर होने के बाद एल-1 आने वाले ठेकेदार से निगम एग्रीमेंट करता है वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद निगम के सब इंजीनियर ठेकेदार को साइड क्लियर करके देते हैं तब ठेकेदार इस्टीमेट के मुताबिक काम शुरू करता है वर्क इस्टीमेट के मुताबिक हो रहा है कि नहीं, इस पर सब इंजीनियर, सहायक अभियंता को पूरी नजर रखना होता है इसके बाद ईई और जोन आयुक्त को भी समय-समय पर काम का निरीक्षण करना होता है काम के दौरान फाइल सब इंजीनियर से, सहायक अभियंता, ईई, जोन आयुक्त, एसी, आयुक्त और वित्त विभाग तक पहुंचती है इस दौरान जिन-जिन के नजरों से होकर यह गुजरती है, इसके लिए वो सभी अधिकारी जिम्मेदार हैं....