बिलासपुर : शहर में हर जगहों पर बिजली खंभों और डिवाइडरों में विज्ञापन के बोर्ड लगे हुए हैं इधर, निगम का कहना है कि इन विज्ञापनों से 3 साल में 29 लाख रुपए की आय हुई है इसमें 18% जीएसटी शुल्क भी शामिल है ऐसे विज्ञापन से निगम को आय हो या न हो, लेकिन निजी लाभ से इंकार नहीं किया जा सकता निगम का कहना है अवैध बोर्ड और होर्डिंग्स जब्त किए जा रहे हैं, लेकिन किसी पर पेनल्टी नहीं लगाई गई है...
निगम का तर्क है कि ऐसे बोर्ड आधी रात लगते हैं, इसलिए पता नहीं चल पाता कि इसे किसने लगाया लेकिन निगम जिस कंपनी का विज्ञापन हो रहा है, उस पर भी कार्रवाई नहीं करती कितने वैध विज्ञापन बोर्ड हैं और कितने अवैध, इसकी जांच होनी चाहिए यदि विज्ञापन से निगम को नुकसान हो रहा है, तो दोषियों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए.....
आम लोगों की जान जोखिम में
आंधी-तूफान में इन बड़े-बड़े होर्डिंग्स, बिजली खंभों और डिवाइडर पर लगाए गए बोर्ड से शहरवासियों को खतरा है तेज हवा चलने पर कई जगहों पर होर्डिंग्स गिर जाते हैं खंभों पर लगे विज्ञापन बोर्ड हवा के साथ उड़ जाते हैं इससे सड़कों पर चलने वाले बाइक सवारों को खतरा है...
इसके बाद भी निगम इससे सबक नहीं ले रहा है जितने बड़े पैमाने पर बिजली खंभों और डिवाइडरों में विज्ञापन बोर्ड लगे हुए हैं, उस हिसाब से निगम की कमाई नहीं हो रही है। निगम हर बार अवैध होने का हवाला देते हुए जब्ती किए जाने का हवाला देता है, लेकिन अवैध होने के बाद भी किसी पर पेनल्टी नहीं लगाई जाती यही कारण है कि अवैध विज्ञापनों का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है....
जानिए... 3 साल में कितनी कमाई
विजय एडवरटाइजर्स एंड कंसलटेंसी से 20 लाख...
आरुषि एडवरटाइजर्स एंड कंसलटेंसी से 3 लाख...
एमजीआर एडवरटाइजर्स से 2.59 लाख...
ग्रेसफुल मीडिया प्राइवेट लिमिटेड से 3.51 लाख का राजस्व निगम को मिला है....
निगम ने मोबाइल कंपनी पर लगाई थी पेनल्टी
निगम की अनुमति बगैर शहर में एसीपी बोर्ड लगाकर मोबाइल कंपनियों का प्रचार-प्रसार करने पर निगम ने पांच साल पहले दो मोबाइल कंपनियों पर 10 लाख की पेनल्टी लगाई थी, लेकिन अब निगम के अफसर पेनल्टी करना ही भूल गए हैं यदि कोई भी दुकान संचालक अपनी दुकानों के सामने बोर्ड लगाकर किसी कंपनी का प्रचार करता है तो वह विज्ञापन की श्रेणी में आता है....