CHHATTISGARH

पानी-प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर फोकस, प्राथमिक स्वास्थ्य तंत्र मजबूत हो...

बीते कुछ साल में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन यानी (एनयूएचएम) के तहत शहरों को अपनी जरूरतों के मुताबिक सिटी मास्टर हेल्थ प्लान बनाने की हिदायत दी गई दिल्ली,मुंबई, बेंगलुरु, पुणे आदि शहरों ने इसे बनाया भी है रायपुर में अब तक शहर की जरूरतों के मद्देनजर अलग से कोई सिटी मास्टर हेल्थ प्लान नहीं आया है...

स्वास्थ्य और अर्बन प्लानिंग के जानकारों की मदद से पहली बार रायपुर का मास्टर हेल्थ प्लान बनवाया है। करीब 22 लाख आबादी वाले रायपुर की अगले पांच साल में 30 लाख जनसंख्या होने का अनुमान है इसी कारण मास्टर हेल्थ प्लान की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि भविष्य की चुनौतियों को लेकर रणनीति बन सके...

इमरजेंसी मैनेजमेंट, इंश्योरेंस, ट्रैफिक फ्री एप्रोच रोड की रणनीति बनानी होगी

प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं : देखा जाता है कि छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी मरीज बड़े अस्पतालों का रुख करते हैं ऐसे में 70 वार्डों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है ताकि अपने पड़ोस में छोटी बीमारियों के इलाज के लिए बेहिचक जा सकें...

इमरजेंसी मैनेजमेंट जरूरी, ट्रॉमा बनें : रायपुर में कम से कम दो कोनों में जहां सबसे अधिक हादसे होते हैं वहां पर ट्रॉमा और क्रिटिकल केयर, हड्डियों के इलाज से जुड़े दो अलग डेटीकेटेड अस्पताल बनाने की जरूरत है ताकि गंभीर मरीजों को गोल्डन टाइम में तत्काल इलाज मिले...

स्वास्थ्य बीमा सबका होना चाहिए : आयुष्मान भारत स्कीम के दायरे में शहर की शत प्रतिशत आबादी को लाना जरूरी है सभी बीमारियों को जोड़ा जाना चाहिए जैसे एक्लास्टिक एनीमिया बोनमेरो ट्रांसप्लांट आदि...

अस्पतालों तक ट्रैफिक फ्री हो रोड : सरकारी, निजी दोनों अस्पतालों तक जाने वाली सड़कों पर जाम समस्या है कई तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है ऐसे में अस्पतालों के हिसाब से ट्रांसपोर्ट सिस्टम सुधारना होगा ताकि मरीज आसानी से अस्पताल तक जा सके...

महिला, बच्चों बुजुर्गों के लिए फोकस इलाज : शहर में महिलाओं और बच्चों से जुड़ी बीमारियों में सिकसेल, ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय का कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही है इन बीमारियों के इलाज और वैक्सीनेशन को लेकर निचले स्तर पर से बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है...

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