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कचरे को 'कंचन' बनाया, महिलाओं ने कसी कमर... हर बार स्वच्छ शहर का तमगा कैसे जीत लेता है अंबिकापुर ?

अंबिकापुर: छत्तीसगढ़ का अंबिकापुर (Ambikapur Clean City) कहने को बेहद छोटा सा शहर है ये बमुश्किल 10 किमी एरिया में है, जिसमें करीब 2 लाख के करीब आबादी रहती है बावजूद इसके स्वच्छता सर्वेक्षणों में ये शहर लगातार टॉप पर बना हुआ है 2015 से 2022 तक लगातार आठ साल अंबिकापुर ने 1 लाख से 3 लाख जनसंख्या कैटेगरी में शीर्ष स्थान हासिल किया है इस कामयाबी के साथ इस शहर ने स्वच्छता और स्थिरता में एक नया बेंचमार्क स्थापित किया सफाई को लेकर ये शहर लगातार सुर्खियों में बना हुआ है इस मिशन को सफल बनाने में अहम रोल निभाने वाली महिलाएं हैं.... 

शहर की स्वच्छता में महिलाओं ने निभाया अहम रोल

उत्तरी छत्तीसगढ़ के इस शहर ने 'कचरा कैफे' के विचार को आगे बढ़ाया। ये ऐसा कैफे है जहां आपको प्लास्टिक कचरा लाने पर मुफ्त भोजन मिलता है यहां करीब 1.5 किमी की सड़क भी बनाई गई जिसमें प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया। इसमें आश्चर्य की बात नहीं कि 10 राज्यों ने अंबिकापुर के सॉलिड वेस्ट (Solid Waste) प्रबंधन मॉडल का अध्ययन करने में रुचि दिखाई है जिसे 'अंबिका' यानी स्वच्छता और स्थिरता मिशन को शक्ति देने वाली महिलाओं ने शुरू किया है... 

IAS अफसर रितु सेन ने बताया कैसे बदली अंबिकापुर की तस्वीर

आईएएस अधिकारी रितु सेन ने सरगुजा जिला कलेक्टर के पद पर रहते हुए महिलाओं की फौज के साथ इस मिशन का आगाज किया था अंबिकापुर नगर निगम में अब घर-घर कचरा संग्रहण के लिए 470 महिला कर्मचारी हैं रितु सेन ने टीओआई से बात करते हुए बताया कि शहर की सीमा पर 25 साल पुराना डंप था 16 एकड़ की साइट बुरी तरह से बदबू करती थी कोई भी यात्री जब यहां आता तो उनके लिए ये बेहद डरावना अनुभव जैसा था लेकिन अब ऐसा नहीं है ये एरिया नव आगंतुकों के लिए स्वर्ग जैसा है ऐसा इसलिए क्योंकि डंपिंग साइट पर 14 एकड़ का हरा-भरा गार्डेन तैयार किया गया है... 

अभी नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी की महानिदेशक रितु सेन ने बताया कि हमने अंबिकापुर को डंपिंग यार्ड से मुक्त कराने के लिए कई मोर्चों पर काम किया इसे वित्तीय रूप से स्थायी ढंग से काम करना शुरू किया जिसमें सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद यही नहीं लोग इस मिशन में शामिल भी हुए अंबिकापुर के महापौर डॉ. अजय कुमार तिर्की ने कहा कि रितु सेन ने थ्री-लेयर वेस्ट डिस्पोजल पद्धति का वैज्ञानिक रूप से समर्थन किया निगम, जिला प्रशासन, नगरीय प्रशासन और छत्तीसगढ़ विकास विभाग के बीच एक पुल का काम किया... 

कचरे को 'खजाने' में बदलने की पूरा कहानी जानिए

शहर में फैले कचरे को एक 'खजाने' में बदलने की कहानी मेयर अजय कुमार तिर्की ने टीओआई के साथ साझा की। उन्होंने कहा कि अंबिकापुर ने लगातार आठ वर्षों तक 1-3 लाख जनसंख्या कैटेगरी में सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार जीता है यह प्रशासन, सरकार, कम्यूनिटी, नगर निगम की कमियों को दिखाने वाली मीडिया रिपोर्ट से संभव हुआ यही नहीं इसमें निश्चित रूप से 470 'स्वच्छता दीदियों' का भी अहम रोल है, जिनके बिना ये संभव नहीं था... 

इस मिशन में सुपरवाइजर टैबलेट और ब्लूटूथ प्रिंटर के साथ अंबिकापुर में घूमते घरों और बिजनेस कंपनियों से उठाए गए कचरे की जानकारी अपलोड करते शहर के सभी 48 वार्ड डस्टबिन फ्री हैं शहर का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम 18 सेग्रीगेशन सेंटर्स पर चलता है। यहां सूखे और गीले कचरे को अलग कर प्रोसेसिंग सेंटर भेजा जाता है महिलाएं अपने हाथ से बोतल के हजारों ढक्कनों को रीसाइकल करने के लिए हर दिन इसे अलग करती हैं... 

पूरे मिशन में महिलाएं निभा रहीं बड़ा रोल

मेयर के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल में एक आर्थोपेडिक सर्जन, अजय कुमार तिर्की ने बताया कि कैसे उन्होंने कम्यूनिटी और व्यापारियों को इस स्वच्छता मिशन से जोड़ा इससे जुड़े निकायों के साथ तालमेल बिठाने को लेकर चर्चाओं की एक सीरिज शुरू की जिसके बाद सभी 48 वार्डों में जागरूकता मिशन चलाया गया शहर के हर घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान को तब डोर-टू-डोर रोजाना कचरा संग्रहण सिस्टम से कवर किया गया अब रोजाना करीब 48-51 मीट्रिक टन कूड़ा उठाया जाता है इसमें लगभग 70 फीसदी गीला कचरा होता है जिससे खाद बनाया जाता है सूखे कचरे को 'कचरा क्लीनिक' में 22 कैटेगरी में बांटा जाता है फिर इसे 156 श्रेणियों में अलग किया जाता है अंबिकापुर नगर निगम की आयुक्त प्रतिष्ठा ममगाई ने कहा कि हम कचरा बेचने से हर महीने 9-10 लाख रुपये कमा रहे हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में कचरा संग्रह से 17-18 लाख रुपये हर महीने कमा रहे हैं.... 

अंबिकापुर में 21 स्वयं सहायता समूहों और सिटी लेवल फेडरेशन (CLF) की 210 महिला सदस्यों को शामिल किया गया है। 'दीदी बर्तन बैंक' नाम से एक अनूठी आजीविका पहल की गई है इसके पीछे का विचार डिस्पोजेबल बर्तनों-प्लास्टिक के गिलास, चम्मच, थर्मोकोल प्लेट आदि के इस्तेमाल पर अंकुश लगाना है इसके बर्तन बैंक के जरिए सामाजिक कार्यों में स्टील के बर्तनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है... 

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