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होर्डिंग्स ने बिगाड़ी शहर की सूरत निगम कह रहा-शहर में 800 वैध होर्डिंग्स जबकि पूरा शहर होर्डिंग्स से पटा...

रायपुर : सड़कों के किनारे, भवनों की छतों पर लगने वाले होर्डिंग्स नगर निगम के लिए कमाई का बड़ा जरिया हैं 12 करोड़ से ज्यादा की कमाई हर साल हो रही है 800 से ज्यादा होर्डिंग्स नगर निगम के रिकार्ड में हैं, लेकिन सवाल यहीं उठ रहा है कि शहर में होर्डिंग्स की संख्या इतनी ज्यादा है कि गिन भी नहीं सकते, तो बाकी होर्डिंग्स का वैधानिक स्थिति क्या है? इसके अलावा जहां देखें, राजनीतिक बैनर-पोस्टरों से शहर पटा रहता है..... 

ये खंभों पर इस तरह लगाए जाते हैं कि आने जाने वाली गाड़ियों को सड़क के किनारे बचकर चलना होता है थोड़ी सी भी हवा में डर रहता है कि कार के ऊपर गिर न जाए, कोई हादसा न हो जाए निगम के अधिकारियों का कहना हैकि अवैध होर्डिंग्स मिलने पर कार्रवाई होती है, लेकिन इसका विस्तृत ब्यौरा उनके पास नहीं है.... 

हम सिर्फ बड़े-बड़े विज्ञापन होर्डिंग्स की बात कर रहे हैं, जबकि जन्मदिन, बधाई और अन्य अवसरों पर चौक-चौराहों और बिजली के खंभों पर लगने वाले प्रचार होर्डिंग्स और बैनर-पोस्टर अलग है नगर निगम विज्ञापन से आए कमाने के लिए प्राइम लोकेशन या फिर किसी प्रोजेक्ट साइट पर विज्ञापन अधिकार देने के लिए टेंडर जारी करता है.... 

इसके अलावा बड़ी संख्या में विज्ञापन एजेंसियां लोगों के घर और भवनों की छतों पर विज्ञापन होर्डिंग्स लगाती हैं शहर में होर्डिंग्स को लेकर बड़ा खेल चल रहा है इसमें नेता, अधिकारी, कारोबारी सब शामिल हैं.... 

एजेंसियाें को भवन मालिकों व निगम से लेनी है अनुमति

नियम यह है कि विज्ञापन एजेंसियां इसके लिए पहले भवन मालिक को राजी करे और उसके बाद मकान या भवन से संबंधित दस्तावेजों के आधार पर निगम से इसकी स्वीकृति ले विज्ञापन एजेंसी भवन मालिक को निश्चित मासिक किराया देने के साथ निगम को अनुमति शुल्क भी देना होता है पिछले कुछ सालों में बड़ी-बड़ी कंपनियों में भवनों की छतों पर विज्ञापन होर्डिंग्स लगवाने की होड़ मच गई है इसलिए वैध-अवैध तरीके से जमकर होर्डिंग्स लगाने की प्रतिस्पधा चली.... 

बैनर-पोस्टर पर कोई सख्ती नहीं की जा रही...

शहर की सूरत बिगाड़ने में बैनर-पोस्टर भी जिम्मेदार हैं डिवाइडर के खंभों, चौक-चौराहों की रेलिंग और ओवरब्रिज के नीचे कई तरह के बैनर-पोस्टर आए दिन लगे रहते हैं ज्यादातर राजनीतिक होते हैं बधाई संदेश में भी बैनर लगाए जाते हैं दरअसल, शहर में बैनर-पोस्टर को लेकर कोई पालिसी नहीं है कुछ महीने पहले निगम के जनप्रतिनिधि इंदौर गए थे वहां बैनर-पोस्टर को लेकर एक नियम है राजनीतिक दल, संगठन या सामाजिक संस्था की जिम्मेदारी है कि बैनर-पोस्टर लगाने के बाद चार से पांच घंटे बाद खुद ही उन्हें निकालना होगा ऐसा नहीं करने पर जुर्माना और एफआईआर तक की जा सकती है रायपुर में ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है यह निर्णय लिया गया था कि बिना अनुमति बैनर-पोस्टर पर पांच हजार का जुर्माना लगेगा..... 

पोर्टेबल होर्डिंग्स का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है...

अब तक नगर निगम छतों पर और यूनिपोल इत्यादि में ही होर्डिंग्स लगाने की अनुमति देता रहा है अब पोर्टेबल होर्डिंग्स की भी अनुमति दी जा रही है ऐसा होर्डिंग्स कहीं भी ले जाकर सड़क किनारे रखा जा सकता है शंकर नगर चौक, लाखे नगर चौक, वीआईपी रोड, सड्‌ढू और रायपुर रेलवे स्टेशन के पास ऐसे दो से तीन पोर्टेबल होर्डिंग्स रखे गए हैं चक्के वाली एक गाड़ी के ऊपर होर्डिंग्स रहता है इसे खींचकर आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है यह सड़क के आवागमन को प्रभावित करने लगा है....

एजाज ढेबर, महापौर रायपुर

 नियम-शर्तों के तहत होर्डिंग्स की अनुमति दी जा रही है सड़क में ट्रैफिक को किसी तरह की बाधा न हो स्ट्रक्चर बनाने को लेकर भी मापदंड तय हैं, ताकि हादसे न हों अवैध होर्डिंग्स रोकने के लिए उड़नदस्ता की विशेष टीम है, जो पूरे शहर में घूमकर इसकी जांच करती है अवैध पाए जाने पर तगड़ा जुर्माना लगाया जाता है और नियम के तहत होने पर उसे नियमित किया जाता है..... 

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