छत्तीसगढ़ सरकार ने संपत्ति खरीदने पर लगने वाले रजिस्ट्री शुल्क को लेकर नया नियम जारी किया है अब किसी भी प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री में गाइडलाइन दर से सौदे की रकम अधिक होने पर भी रजिस्ट्री शुल्क गाइडलाइन दर के हिसाब से ही लिया जाएगा सरकार का दावा है कि इससे बैंक लोन पर निर्भर मध्यम वर्गीय परिवार को वास्तविक मूल्य के आधार पर कर्ज मिल सकेगा...
CM विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में ये फैसला लिया गया था पिछले नियम के मुताबिक संपत्ति की खरीद-बिक्री में गाइडलाइन दर और सौदे की राशि में जो भी अधिक होता था, उस पर रजिस्ट्री शुल्क देना अनिवार्य था...
क्यों बदला गया नियम?
वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि इस संशोधन से मध्यम वर्गीय परिवारों को वास्तविक मूल्य के आधार पर अधिक बैंक लोग लेने में सहूलियत होगी इससे वास्तविक मूल्य दर्शाने का ट्रेंड बढ़ेगा देश के बाकी राज्यों में जमीन की गाइडलाइन कीमत या सौदा मूल्य दोनों में से जो ज्यादा हो उस पर पंजीयन शुल्क लगता है...
केवल मध्य प्रदेश में गाइडलाइन कीमत से अधिक सौदा मूल्य दिखाने पर पंजीयन शुल्क में छूट दी गई है इसके कारण वहां लोगों में वास्तविक सौदा मूल्य को रजिस्ट्री पेपर में लिखने की प्रवृत्ति बढ़ी है इस वजह से छत्तीसगढ़ में भी ये सिस्टम लागू किया जा रहा है...
अभी क्या चल रहा है
इन दिनों किसी संपत्ति का सौदा गाइडलाइन रेट से बहुत ज्यादा दर पर होता है, लेकिन लोग गाइडलाइन मूल्य या इसके आसपास का ही सौदा डॉक्यूमेंट में लिखते हैं ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि अगर वास्तविक सौदा दिखाया जाएगा तो रजिस्ट्री रेट गाइडलाइन या वास्तविक सौदा राशि दोनों में से जो ज्यादा हो उस पर लगेगा ऐसे में पंजीयन शुल्क से बचने के लिए लोग गाइडलाइन कीमत या इसके आसपास रेट डालकर बाकी का लेन-देन अलग करते हैं
लोग ये चालाकी करते हैं
सरकार ने ये नियम तो बता दिया मगर अब भी लोग ये कर सकते हैं कि जिस बढ़े हुए रेट में डील हुई उसे डॉक्यूमेंट में न लिखकर गाइडलाइन रेट ही लिखेंगे क्योंकि अगर लोग बढ़ा रेट लिखकर प्रॉपर्टी में डील करेंगे तो इनकम टैक्स का बोझ आएगा इससे बचने के लिए लोग कागज पर कम रकम ही लिख सकते हैं...
तो फिर फायदा किसे?
मध्यमवर्गीय परिवारों को इस नए नियम का कुछ फायदा मिल सकता है वो कैसे आपको बताते हैं-
बैंक लोन रजिस्ट्री पेपर में दिखाए गए सौदे के रकम के आधार पर मिलता है और मध्यमवर्गीय परिवार संपत्ति खरीदने के लिए बैंक लोन पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में कम सौदा कीमत दिखाए जाने से बैंक लोन भी कम मिलता है सही रेट लिखने पर ज्यादा लोन भी मिल सकता है...
अगर कभी संपत्ति में कुछ धोखाधड़ी पायी गई तो व्यक्ति विक्रेता से वही मुआवजा पाने का हकदार होता है, जो रजिस्ट्री पेपर में लिखा हुआ संपत्ति का सही मूल्य रजिस्ट्री में अंकित होने से प्रभावित व्यक्ति को उसका सही मुआवजा भी मिल सकेगा...