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प्रभारी आयुक्त का फरमान- स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर दिखना चाहिए सुंदर

रायपुर : राजधानी रायपुर शहर जैसा भी हो पर जब भी राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 हो, तब ये सुंदर दिखना चाहिए। इस उद्देश्य के साथ काम कर रहे रायपुर निगम के अफसर बीते माह भर से लगातार बैठक पे बैठक कर रहे हैं। मिशन मोड पर काम करने को कहा जा रहा है। लापरवाही न करने की चेतावनी भी दी जा रही है।


निगम में बैठकों का दौर चल रहा है। मुख्यालय से लेकर जोनस्तर पर निर्देश पर निर्देश दिए जा रहे हैं। हरस्तर पर कर्मचारियों को ये समझाया जा रहा है कि इस बार होने वाले राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में रायपुर को अग्रिम स्थान मिलना चाहिए। बुधवार को प्रभारी निगम आयुक्त अभिषेक अग्रवाल ने विशेष समीक्षा बैठक बुलाकर आवश्यक निर्देश जारी किए। समय-सीमा पर काम करने, सभी जोन में स्वच्छता गतिविधियां चलाने, बर्तन बैंक, झोला बैंक, फूड बैंक को लेकर जागरूक करने को कहा गया।


वेस्ट से बेस्ट अभियान सभी जोनों में चलाने, कबाड़ की वस्तुओं को उपयोगी बनाकर उसे गार्डन में सजाने का काम करने को कहा गया। लोगों को अपने घरों के सेप्टिक टेंक को हर तीन साल में सफाई के लिए टोल फ्री नंबर-14420 पर संपर्क करने के लिए कहा गया। प्रभारी आयुक्त ने नो पालीथिन महाभियान, जीरो वेस्ट मैनेजमेंट अभियान को लगातार चलाने को कहा। सफाई संबंधी शिकायत निदान-1100, स्वच्छता एप, महापौर स्वच्छता हेल्पलाइन 9301953294 पर दर्ज करने को कहा गया

बैठक में उपायुक्त एके हलधर, नगर निवेशक बीआर अग्रवाल, स्वास्थ्य अधिकारी विजय पाण्डेय, कार्यपालन अभियंता स्वच्छ भारत मिशन रघुमणि प्रधान, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डा. तृप्ति पाणीग्रही, सहायक अभियंता स्वच्छ भारत मिशन योगेश कडु सहित सभी जोन के स्वास्थ्य अधिकारियों, जोन के स्वच्छ भारत मिशन नोडल अधिकारी सहायक अभियंता मौजूद थे।


गलियों से लेकर मुख्य सड़कों तक रायपुर शहर की स्थिति एकसमान दिखती है। पार्किंग प्लेस खाली पड़े हैं और चौड़ी-चौड़ी सड़कें पार्किंग की भूमिका निभा रही है। ऐसी कोई नाली नहीं है जो बजबजा नहीं रही हो। सड़कों पर गड्ढे खुदे पड़े हैं। कहीं किसी सड़क के आधे भाग पर डामर बिछाकर काम बंद कर दिया गया है।


हरियाली शहर से लुप्त हो चुकी है। चहुंओर बिजली के फैले और खुले तार दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं। बनी हुई सड़कों में से रोज किसी न किसी सड़क को खोद दिया जा रहा है। धूल इतनी है कि लोग न चाहते हुए भी आधा किलो धूल खा ले रहे हैं। घरों में वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है। नक्शा पास करने के साथ ही संबंधित भू-स्वामी से एक निश्चित राशि वाटर हार्वेस्टिंग के नाम से जमा करवा लिया जाता है।

वाटर हार्वेस्टिंग लगाने का प्रमाण पत्र दिखाने पर राशि लौटा दी जाती है पर ऐसी राशि करोड़ों में पहुंच गई है। स्पष्ट है कि लोग वाटर हार्वेस्टिंग भी लगवाने से बच रहे हैं। हर सड़क पर अव्यवस्थित ढंग से ठेले खड़े दिख जाते हैं। सभी तरह के प्रयासों के बाद भी प्रतिबंधित प्लास्टिक में सामान खरीदा-बेचा जा रहा है।


शहर में गिनती के ही एक-दो ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें स्मार्ट सिटी के अनुरुप कहा जा सकता है। अब ऐसी व्यवस्था के बीच राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में अग्रिम स्थान पाने के लिए निगम अफसर जोर-शोर से भिड़े हैं।






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