भिलाई : निगम प्रशासन मवेशियों को पकड़ने के साथ ही उनके मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले थे। आर्थिक दंड देने के साथ ही दोबारा गलती करने पर एफआईआर दर्ज कराने का प्लान किया था।
मवेशी पकड़ने का अभियान : रोका छेका अभियान के तहत सड़क पर घूमते हुए मवेशियों को पकड़कर गौठान में रखना है, लेकिन यह अभियान भी ठंडा पड़ गया है। शिकायत होने पर कार्रवाई करते हैं। अभी अभियान बंद है।
खटाल हटाना: बस्तियों में कई खटाल चल रहे हैं। संचालक मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं, जो सड़कों पर घूमते रहते हैं। ऐसे खटाल संचालकों पर कार्रवाई किया जाना था, लेकिन यह भी नहीं किए। खटाल अब भी संचालित हो रहे हैं।
चारा मांग रहा निगम, फंड तक की व्यवस्था नहीं
नगर निगम ने गोठान बनाया है। वहां मवेशियों को रखा जाता है, लेकिन यहां मवेशियों के लिए साल भर चारा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहती है। इसलिए जिन मवेशियों को निगम की टीम सड़कों से उठाकर गौठान ले जाते हैं, उसे एक-दो दिन बाद छोड़ देते हैं। इस साल निगम प्रशासन मवेशियों के लिए सालभर का चारा का व्यवस्था करने आसपास के गांवों के किसानों से धान का पैरा दान में मांग रहे हैं।
6 से 8 लोगों की मौत सिर्फ मवेशियों की वजह से
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते है कि पिछले साल प्रदेश में सड़क दुर्घटना में 17 हजार 525 लोगों की जान गई है। पूरे देश के आंकड़ों की तुलना में यह 4.4 प्रतिशत है। दुर्घटना में होने वाली मौतों की दर छत्तीसगढ़ में 59.2 प्रतिशत है, जो पूरे देश में सबसे अधिक है।
2021 के मुताबिक 2022 में सड़क दुर्घटना में 11.45 प्रतिशत और सड़क दुर्घटना में मौत के मामले में 13.42 प्रतिशत की कमी आई है। सबसे अधिक रायपुर में 14.24 प्रतिशत सड़क दुर्घटना हुई है। उसके बाद दुर्ग जिला और बिलासपुर जिला में 8 प्रतिशत हादसे हुए है। दुर्ग जिले में 2019 से 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ मवेशियों की वजह से हर साल 8 से 10 दुर्घटनाएं होती है।
शहर की इन सड़कों पर रहता है मवेशियों का कब्जा
टाउनशिप के सभी प्रमुख सड़कों के अलावा अंदरूनी सड़कों पर भी मवेशी घूमते रहते हैं। सुपेला लक्ष्मी मार्केट रोड, पावर हाउस मार्केट सब्जी,फल मार्केट जाने वाली सड़कें, रावण भाठा, बघवा मंदिर, गौरव पथ आदि शामिल हैं....