भिलाई : जिले में गर्मी की आहट हो चुकी है तापमान में बढ़ोत्तरी जारी है इन सबके बीच पेयजल आपूर्ति को लेकर प्रतिवर्ष होने वाली तैयारी इस बार अब तक शुरू नहीं हो पाई है खास बात यह है कि दुर्ग और भिलाई में 25 प्रतिशत से ज्यादा हैंडपंप खराब हैं शहर के आउटर कॉलोनियों में पेयजल गहराने लगा है बावजूद इसके लिए न ही निकाय ने इसे लेकर गंभीरता दिखाई है न ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी रूचि दिखाई है....
इतना ही नहीं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने कंट्रोल रूम तक तैयार नहीं किया है। विभागीय अधिकारियों को अपने दफ्तर तक का नंबर नहीं मालूम। प्रभावित क्षेत्रों में पानी संकट गहराने लगा है। इधर शुक्रवार को भिलाई निगम में जरूर आयुक्त रोहित व्यास ने अधिकारियों की बैठक की। उन्होंने सभी जोन आयुक्त को सर्वे कर जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा....
खुर्सीपार और औद्योगिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा दिक्कत
भिलाई के खुर्सीपार और औद्योगिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा दिक्कत है। इन दोनों क्षेत्रों में जलस्तर घटने के साथ आयल युक्त पानी निकलता है। इससे निपटने के लिए टैंकरों से प्रभावित क्षेत्रों में आपूर्ति के इंतजाम किए जाते हैं। अब तक ऐसा नहीं किया गया है। शुक्रवार को आयुक्त रोहित व्यास ने अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने कहा कि सभी वार्डों का सर्वे कराया जाए। जहां जरुरत हो, डिमांड के अनुरूप टैंकरों के इंतजाम किए जाएं। इसके लिए उन्होंने बुधवार तक रिपोर्ट देने कहा है...
ट्विनसिटी के इन वार्डों में पानी की दिक्कत ज्यादा
भिलाई: जोन 1 के अटल आवास, आईएचडीपी आवास, वाम्बे आवास, नेहरू नगर, जुनवानी के आउटर एरिया, कृष्णा नगर, राजीव नगर, लक्ष्मीनगर, रानी अवंती बाई कोहका, सुपेला, नेहरू भवन। जोन 2 के अंबेडकर नगर,राजीव नगर, कैलाश नगर, कुरूद बस्ती, रामनगर मुक्तिधाम, शास्त्री नगर, प्रेम नगर, वृंदानगर, जोन 3 के प्रगति नगर, मदर टेरेसा नगर, बैकुंठ धाम, संतोषी पारा, वीर शिवाजी वार्ड आदि क्षेत्र....
दुर्ग: बोरसी, मीनाक्षी नगर, पोटिया, पुलगांव, कातुलबोड़, कैलाश नगर, बांधा तालाब, मरारपारा, रामनगर उरला, पंचशील नगर, महावीर कॉलोनी, नयापारा, माली लाइन, ठगड़ा बांध क्षेत्र, उत्कल नगर आदि क्षेत्र शामिल हैं. ..
फरवरी से जून तक बढ़ जाती है पानी की खपत
प्रतिवर्ष गर्मी के दिनों में पानी की खपत बढ़ जाती है भिलाई में जहां पानी सप्लाई की क्षमता 143 एमएलडी है। इसमें जुलाई से जनवरी तक औसतन हर 120 एमएलडी पानी की खपत होती है। वहीं फरवरी से जून तक यह औसतन 130-135 एमएलडी तक पहुंच जाती है। इसी प्रकार दुर्ग में 77 एमएलडी क्षमता है। जहां औसतन 45 एमएलडी की जरूरत होती है। गर्मी के दिनों में यह बढ़कर 55-58 एमएलडी तक पहुंच जाती है। इस प्रकार 10 एमएलडी से ज्यादा पानी की जरुरत होती है। इस क्षमता को बढ़ाए जाने व इसके इंतजाम को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई है। हाल ही में हुए सर्वे में जल स्तर गिरने का खुलासा भी हुआ है....