New Delhi : आप जमीन मकान या फिर अन्य किसी प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से काफी परेशान हैं तो हम आपको बताने वाले हैं कि आप कैसे कानूनी मसलों का सहारा लेकर आप इसे हटवा सकते हैं तो चलिए जानते हैं कि किन धाराओं के तहत प्रशासन कार्रवाई कर सकता है...
देश में आए दिन प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे की खबरें सामने आती हैं. खून-पसीने की कमाई से खरीदी जमीन या मकान-दुकान पर कोई कब्जा कर ले तो बड़ा दुख होता है. ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति पुलिस और अदालत से इंसाफ की गुहार लगाता है....
प्रॉपर्टी से जुड़े मामले बेहद पेचीदा होते हैं इसलिए ज्यादातर लोगों को इससे जुड़ी समझ नहीं होती है. देश के कानून में प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे की समस्या को लेकर अहम प्रावधान हैं....
अपराधी और भूमाफिया डरा-धमकाकर आम आदमी की प्रॉपर्टी पर कब्जा कर लेते हैं. मालिकाना हक होने के बावजूद पीड़ित भूस्वामी संपत्ति से बेदखल कर दिया जाता है....
किसी भी संपत्ति के मालिक को यह अधिकार है कि उसकी प्रॉपर्टी पर कब्जा उसकी इच्छा के विरुद्ध नहीं होना चाहिए. आइये जानते हैं आखिर मकान-जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में पीड़ित पक्षकार को क्या करना चाहिए ?
प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से जुड़े अहम कानून
लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे से जुड़े केस में पीड़ित व्यक्ति आपराधिक और सिविल दोनों प्रकार के कानूनों का सहारा ले सकता है. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 धोखाधड़ी के अनेक मामलों में लगाई जाती है....
इसलिए किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से आपराधिक बल के जरिए बेदखल करने पर इस धारा को लगाया जा सकता है. इस धारा के तहत शिकायत के बाद संबंधित पुलिस थाने को फौरन कार्रवाई करनी होती है. किसी भी पीड़ित व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने इस अधिकार का उपयोग करना चाहिए...
भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत किसी व्यक्ति की संपत्ति में विश्वास के आधार पर घुसकर उस पर कब्जा कर लेना संगीन अपराध है.
पीड़ित पक्षकार इस अन्याय को लेकर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा सकता है. वहीं, आईपीसी की धारा 467 कूटरचना पर लागू होती है, जिसमें किसी संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के जरिए हथिया लिया गया है.
तुरंत इंसाफ के लिए बना ये कानून
स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963, यह कानून त्वरित न्याय के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है. इस अधिनियम की धारा 6 में किसी व्यक्ति को उसकी संपत्ति से बेक़ब्ज़ा करने पर समाधान उपलब्ध कराती है... विशेष तौर पर जब किसी व्यक्ति की संपत्ति में घुसकर उस पर कब्जा कर लिया गया हो. इस धारा के अंतर्गत पीड़ित को सरल संक्षिप्त न्याय दिया जाता है.
हालांकि, प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे के मामले में सबसे पहले पीड़ित व्यक्ति को वकीलों या जानकारों से कानूनी मदद लेनी चाहिए. इसके अलावा हर व्यक्ति को अपनी संपत्ति के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. क्योंकि अवैध कब्जे के मामले अधिकांश वहां होते हैं जहां लापरवाही पूर्वक किसी जमीन, मकान या भूखंड को छोड़ दिया जाता है.