नई दिल्ली : आयकर रिटर्न (ITR) भरने की प्रक्रिया चालू है. इसमें आयकरदाताओं को अपनी कमाई के सभी स्रोतों की जानकारी देनी होती है. अगर आपकी किराये से कमाई होती है तो भी आपको टैक्स चुकाना होता है. इतना ही नहीं एक खास परिस्थिति में बगैर रेंट लिए भी आपको टैक्स का भुगतान करना होता है.....
किराये से होने वाली कमाई को हॉउस प्रॉपर्टी इनकम कहा जाता है. हाऊस प्रॉपर्टी में केवल आपका मकान या अपार्टमेंट नहीं होते, बल्कि दुकान, कारखाना और ऑफिस स्पेस भी इसके अंतर्गत आते हैं. सरकार की ओर से यह छूट है कि आप 2 घरों को अपने पर्सनल यूज के लिए दिखा सकते हैं. इसे सेल्फ ऑफ्यूपाइड प्रॉपर्टी कहा जाता है. यानी इन घरों पर आपको रेंट नहीं मिलता तो आपसे टैक्स नहीं लिया जाएगा....
तीसरे घर पर टैक्स
अगर आपके 2 से ज्यादा घर हैं तो तीसरा घर सेल्फ ऑक्यूपाइड नहीं माना जाएगा. इसके रेंट पर आपको टैक्स चुकाना होगा. आपके मन में सवाल होगा कि अगर रेंट आता ही नहीं तो टैक्स क्यों लिया जाएगा. तो आपको बता दें कि तीसरे घर पर रेंट आता है या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. आपको टैक्स का भुगतान करना ही होता है. यह टैक्स नोशनल रेंट (Notional Rent) के आधार पर भरा जाता है...
कैसे कैलकुलेट होता है नोशनल रेंट
ध्यान दें कि अलग-अलग हाउस प्रॉपर्टीज के रेंट की जानकारी एकसाथ नहीं अलग-अलग देनी होती है. इसके लिए आईटीआर फॉर्म 2/3/4 में से जो भी आप पर लागू हो, का इस्तेमाल करना होता है. अब बात कैसे कि नोशनल रेंट कैसे कैलकुलेट करेंगे. इसमें तीन तरह के रेंट को ध्यान में रखकर सालाना किराया तैयार किया जाता है. ये तीन फैक्टर हैं- स्टैंडर्ड रेंट, म्युनिसिपल रेंट और फेयर रेंट. आपकी जैसी ही कोई प्रॉपर्टी उस इलाके में कितना रेंट जेनरेट कर रही है इसे फेयर रेंट कहा जाता है. म्युनिसिपल रेंट को म्युनिसिपाल्टी द्वारा तय किया जाता है. वहीं, स्टैंडर्ड रेंट तय होता है रेंट कंट्रोल एक्ट के जरिए. मकान मालिक इससे ज्यादा किराया नहीं वसूल सकता है....