इंदौर : अवैध कॉलोनियों को वैध किए जाने को लेकर सरकारी प्रक्रिया बेहद लचर है। आठ महीने पहले कॉलोनियों के नियमितीकरण की घोषणा हुई थी। नोटिफिकेशन व बैठकों का दौर शुरू हुआ, लेकिन दस्तावेज सही जगह पहुंचे ही नहीं। करीब 114 कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां इंदौर विकास प्राधिकरण की योजनाएं आना हैं। इसकी सूची भी निगम ने तैयार कर ली, लेकिन कॉलोनी सेल ने अब तक आईडीए को इसे लेकर पत्राचार नहीं किया। यानी योजना को डी-नोटिफाई करने के लिए भी फाइल आईडीए के दफ्तर नहीं भेजी गई.....
मूसाखेड़ी के रवि नगर में आईडीए की योजना प्रस्तावित है लेकिन परेशानी यह है कि न तो आईडीए अपनी योजना को आकार दे रहा है और न ही जमीन खाली करवाई जा सकती है। इसी कारण नियमितीकरण की प्रक्रिया अटकी है। स्कीम 77 के तहत हॉस्पिटल के पीछे प्लॉट काट दिए गए। सूरज नगर, गणराज, चित्रा नगर सहित कई कॉलोनियां बस चुकी हैं, वहां भी जमीन का मालिक आईडीए है। जिले में 900 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां हैं। इनमें से 650 से ज्यादा शहर में हैं। हाल ही में 120 कॉलोनियों का नोटिफिकेशन निगम ने जारी किया है। इनमें से कुछ में नजूल, टीएनसीपी ने आपत्ति ली है। कुछ में सीलिंग या ग्रीन बेल्ट की जमीन आ रही है। 120 से ज्यादा का नोटिफिकेशन हो गया। पहले चरण में 87 की एनओसी जिला प्रशासन ने जारी की है। इन कॉलोनियों में आईडीए ने आपत्ति ले ली थी। निगम ने कॉलोनियों के साथ आईडीए की योजनाएं बताते हुए फाइल तैयार कर ली है, लेकिन निगम की कॉलोनी सेल से अभी तक फाइलें वहां पहुंची ही नहीं हैं....
कॉलोनी सेल फाइल भेजे, हम प्रक्रिया आगे बढ़ाएंगे
आईडीए चेयरमैन जयपाल सिंह चावड़ा का कहना है कि सीएम की मंशानुसार काम किया जाएगा, लेकिन पहले हमें कॉलोनी सेल फाइल तो भेजे। विधिवत पत्राचार के बाद ही हम प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रख सकते हैं। आपसी सहमति से ही निराकरण होगा। जो कॉलोनियां पूर्णत: विकसित हो चुकी हैं तो विकास शुल्क लेकर अनुमति दी जा सकती है। सवाल यह है कि हमसे पत्राचार तो हो। गौरतलब है कि कॉलोनियों को वैध करने के लिए सार्वजनिक सूचना प्रकाशित की जाती है। इसके बाद लेआउट प्लान बनता है और सर्वे होता है। इसमें यह पता लगाया जाता है कि कितने मकान बने हैं, उसके बाद विकास शुल्क भरवाया जाता है। घोषणा होने के 10 दिन में ही आपत्तियां होने लगीलगी....