रीवा : जिले के तालाबों से अतिक्रमण नहीं हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। पूर्व में दिए गए आदेश पर कार्रवाई नहीं होने की वजह से याचिकाकर्ता ने अवमानना की कार्रवाई करने की मांग उठाई है। इस पर कोर्ट जिला प्रशासन के जवाबों से संतुष्ट नहीं हुआ और वर्ष 2014 से अब तक पदस्थ रहे सात कलेक्टरों को नोटिस जारी किया है। उसमें पूछा गया है कि क्यों न उनके विरुद्ध अवमानना का प्रकरण दर्ज किया जाए....
कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने बताया कि रीवा जिले में तालाबों में अतिक्रमण की वजह से उनका अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है। कई तालाबों पर आवासीय कॉलोनियां बन गईं तो कई जगह तालाबों में खेती होने लगी है। तालाबों का स्वरूप बनाए रखने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। वर्ष 2014 में रीवा कलेक्टर को तालाबों का अतिक्रमण हटाने के लिए आदेश जारी हुआ था। जिला प्रशासन की ओर से अलग-अलग जवाब दिए जाते रहे और तालाबों का अतिक्रमण हटाया नहीं गया....
इसके चलते कोर्ट में आदेश की अवमानना होने का आवेदन दिया गया है। इस पर कोर्ट ने वर्ष 2014 से लेकर अब तक अलग-अलग समयों में पदस्थ रहे कलेक्टरों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न उनके विरुद्ध अवमानना का प्रकरण दर्ज किया जाए। यह सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मलमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में हो रही है....
अतिक्रमण माना फिर भी कार्रवाई नहीं
तालाबों में अतिक्रमण की बात तो जिला प्रशासन मानता रहा है। कई कलेक्टरों के कार्यकाल में कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें माना गया कि जिले के 1137 तालाबों में 210 में आंशिक रूप से अतिक्रमण है। दावा है कि इन तालाबों में अतिक्रमण जरूर है लेकिन यहां पर पानी भरने और उसके निस्तार में बाधा उत्पन्न नहीं हो रही है। कुछ महीने पहले प्रशासन ने कहा था कि 21 तालाब जहां अतिक्रमण की वजह से बाधा थी उसमें से 13 पर कार्रवाई की गई है....