ग्वालियर : शहर से निकलने वाला कचरा नगर निगम के लिए अब कमाई का जरिया बन रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण में शहर से निकलने वाले कचरे से होने वाली कमाई के अंक निर्धारित किए गए हैं। नगर निगम ने शहरभर से निकलने वाले प्लास्टिक व पॉलीथिन के कचरे के लिए टेंडर निकाला था, जिसे 60 लाख रुपये में उठाया गया है। इसके चलते अब नगर निगम को शहर से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट से हर साल 60 लाख रुपये की कमाई होगी। अभी तक इस ठोस अपशिष्ट को नगर निगम फ्री में कबाड़ियों को दे रहा था। निगम के इस प्रयास का लाभ स्टार रेटिंग में मिलेगा। ग्वालियर को पिछले वर्ष तीन स्टार रेटिंग मिली थी, लेकिन इस बार ग्वालियर ने सेवन स्टार रेटिंग की दावेदारी की है।
शहर से दो प्रकार का कचरा निकलता है
पहला गीला तो दूसरा सूखा कचरा: गीले कचरे से नगर निगम खाद तैयार कर रहा है। इसके लिए नगर निगम शहर से आने वाले कचरे को निस्तारण प्लांट पर अलग-अलग कर उस पर (कल्चर ) जीवाणु को डालकर 21 दिन में खाद तैयार करता है। वहीं सूखा कचरा इसमें प्लास्टिक, पालीथिन आदि शामिल होती है। इसे अलग कर इसके पैकेट बनाकर रखते हैं। वहीं इससे पहले शहर से आने वाले कचरे को अलग करने के लिए कबाड़ियों का सहारा लिया जा रहा था। कबाड़ी केदारपुर कचरा निस्तारण केंद्र पर पहुंचकर वहां से फ्री में पालीथिन व प्लास्टिक को ले जाते थे, लेकिन नगर निगम ने पहली बार सूखे कचरे का टेंडर निकाला है। यह टेंडर खुल चुका है इसमें नगर निगम को 60 लाख रुपये मिलेंगे।
स्टार रेटिंग में मिलेगा लाभ
स्वच्छ सर्वेक्षण में दो प्रकार की प्रतियोगिताएं होती हैं। इसमें पहली है ओडीएफ व वाटर प्लस। इसमें शहर का सीवेज, नाला, सफाई व्यवस्था आदि देखी जाती है। इसके बाद स्टार रेटिंग में शहर के कचरे का निस्तारण व उससे होने वाली आय को देखा जाता है। नगर निगम ने पहली बार टेंडर जारी कर कचरे से आय करना शुरू किया है।