रायपुर : सरकार भाजपा कि हो या कांग्रेस की या फिर किसी कि भी हो, पुराने समय में भी कुछ ऐसा ही होता आया है, कि सरकार आम जनता कि जेब पर डाका डालने के बाद ही चलती है। जहाँ यूजर चार्ज पर छूट की बात से निगम मुकर गया है तो वहीँ वहीँ अब यूजर चार्ज में बढ़ोत्तरी से चूकने के बाद, अब राजस्व वृद्धि के लिए नगर निगम शहर के भीतर और आउटर के वार्डों में खाली पड़े खुले प्लॉट के मालिकों से टैक्स की वसूली करेगा। क्या यह निर्णय जनता के साथ छल नहीं है? यह निर्णय 13 जून को हुए राजस्व प्रशिक्षण शिविर के दौरान महापौर मीनल चौबे और सभापति सूर्यकांत राठौड़ और आयुक्त विश्वदीप की उपस्थिति में लिया गया है। इस शिविर के दौरान महापौर ने भी स्वीकारा कि स्वयंसेवी संस्था निगम की आय बढ़ाने के स्रोतों पर अब काम करना होगा। मार्च महीने में वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक निगम का राजस्व 300 करोड़ रुपए तक नहीं पहुंचा था।शासन ने विधानसभा और नगरीय निकाय चुनाव की व्यस्तता को देखते हुए टैक्स पटाने की तारीख में बढ़ोत्तरी कर इसे अप्रैल अंत तक किया था।
इसका फायदा निगम को मिला और राजस्व का ग्राफ तीन सौ करोड़ रुपए से पार कर गया था, लेकिन निगम की सवा 3 लाख प्रॉपर्टी में से 70 हजार प्रॉपर्टी से टैक्स वसूलने में कामयाबी नहीं मिली है। वहीँ अब बताया गया है कि इन 70 हजार प्रॉपर्टी में से 20 हजार केंद्र और राज्य शासन के अलावा धार्मिक संस्थानों की संपत्ति है। इनसे सिर्फ पेयजल टैक्स लेने का ही प्रावधान है।इन्हीं में से 50 हजार प्रॉपर्टी को टैक्स के दायरे में कैसे लाया जाए, इस पर पहली बार राजस्व विभाग ने अपने टैक्स का निर्धारण और वसूली करने वाली टीम को प्रशिक्षण दिया है। राजस्व उपायुक्त डॉ. अंजलि शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों को समय-समय पर अपग्रेड करना होगा, इसीलिए आयुक्त की अनुमति से यह शिविर आयोजित किया गया। ऐसे में अगर खाली प्लाटों से भी टैक्स वसूली की जायेगी तो आम जनता पर बड़ा बोझ बढ़ेगा।
डायवर्सन की तारीख से लगेगा टैक्स
शहर में खाली प्लॉट की दरें लगातार बढ़ती जा रही हैं। जमीन खरीदना और बेचना एक धंधा बन चुका है, इसीलिए ओपन प्लॉट से टैक्स वसूली में अब सख्ती बरती जायेगी। इसमें डायवर्सन की तारीख से टैक्स की गणना होगी, रजिस्ट्री कब हुई यह मायने नहीं रखता। क्योंकि जमीन की कीमत रजिस्ट्री के बाद नहीं डायवर्सन के बाद बढ़ती है, इसीलिए निगम डायवर्सन के फॉर्मूले पर काम करेगा। इसके लिए दो महीने के भीतर सर्वे की तैयारी निगम ने शुरू कर दी है। वहीँ इसके बाद निगम को जनता की नाराजगी भी झेलनी पड़ सकती है।
50 करोड़ अतिरिक्त राजस्व का अंदेशा
अधिकारियों ने बताया कि ओपन प्लॉट के वास्तविक मालिक की पहचान के लिए जिला प्रशासन के राजस्व विभाग से भी सहयोग लिया जायेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि ओपन प्लॉट से टैक्स वसूली में निगम को कम से कम 50 करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। इसीलिए अभी नगर निगम सभी 70 वार्ड क्षेत्र में आने वाले पटवारी हलके का नंबर, राजस्व रिकॉर्ड आदि का अलग से डाटा सुरक्षित तैयार करने पर काम शुरू करेगा। वहीँ आपको बता दें कि बीती तीन सरकारों ने निगम में संपत्ति कर में चौगुने से ज्यादा वृद्धि की है।
कृषि भूमि के नाम पर छूट नहीं ले पाएंगे लोग
ओपन प्लॉट से टैक्स वसूली में अब कृषि भूमि आड़े नहीं आएगी। बताया गया कि निगम सीमा क्षेत्र की कृषि भूमि में यदि दो कमरे का मकान, हॉल-गोडाउन या फिर कॉमर्शियल वाहनों की पार्किंग भी पाई गई तो वह टैक्स के दायरे में आ जायेगी। यदि उक्त भूमि पर उपज हो रही है तब वहां से टैक्स नहीं लिया जायेगा। ऐसे में अब किसानों के लिये भी मुसीबत खड़ी होने वाली है।
