भिलाई : साडा कार्यकाल के दौरान भिलाई के प्रमुख व्यवसायिक स्थानों पर आबंटित दुकानों का सालों से किराया नहीं पटाया जा रहा है. हाल यह है कि आबंटित निगम को महीने का 110 रुपए किराया नहीं दे रहे हैं और उसी दुकान को 10 हजार महीने किराए पर दे रखा है. हैरत की बात यह है कि यह खेल वर्ष 1992 यानी 33 साल से चल रहा है. उसके बाद भी निगम राजस्व विभाग और न ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने कोई कार्रवाई की. इससे साफ है कि मिलीभगत से निगम को करोड़ों रुपए की क्षति पहुंचाई जा रही है..
बेरोजगार हो गए हैं अब करोड़पति
साडा द्वारा दुकान आवंटन करने का उददेश्य था कि उस समय के बेरोजगार लोगों को रोजगार प्रदान करने हेतु स्थान उपलब्ध कराना. जैसे-जैसे दुकानें निर्मित होती गई, उस समय के योजना के अनुसार दुकानें आबंटित की गई है. वर्तमान में इन दुकानों को किराए पर देकर कथित बेरोजगार वर्तमान में करोड़पति बन गए हैं और निगम को चूना लगा रहे हैं.
फाइलें देखकर चौक गए आयुक्त
राजीव कुमार पाण्डेय राजस्व विभाग के राजस्व अधिकारी एवं संबंधित योजनाओं के कर्मचारियों को बुलाकर फाईलों का अवलोकन किया तो वे भी भौचक रह गए. प्रत्येक योजना की फाईल के निर्धारित नियम एवं शर्तों को पढ़ने के बाद उन्हे ज्ञात हुआ कि बरसों से दुकान का किराया लंबित है, इसकी अनदेखी हो रही है. उन्होने राजस्व अधिकारी एवं संबंधित कर्मचारियों को तुरंत निर्देशित किए कि सभी को तत्काल नोटिस जारी किया जाये. इससे निगम को बहुत क्षति हो रही है.
सालों पहले महीने का किराया इतना कम
साडा ने सभी दुकानों का अनुबंध के अनुसार प्रतिमाह किराया निर्धारित किया गया था. जो उस समय के बाजार की उपलब्धता एवं पैसे के मूल्य के हिसाब से किराया तय किया गया था. 110 रुपए 300 रुपए, 648 रुपए जो आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में बहुत ही कम है. साथ में यह भी अनुबंध था कि प्रत्येक दुकान के किराये में 5 वर्ष बाद 10 प्रतिशत की वृद्धि करना था. कुछ दुकानदार ऐसे भी है, जो दुकान का किराया सन 1992 से जमा नहीं कर रहे हैं. कुछ लोग पुराने दर पर ही किराये की राशि अभी तक जमा कर रहे है. जब उनके द्वारा खरीदी-ब्रिकी या लीज नवीनीकरण करवाया जाता है, तब निगम के राजस्व विभाग द्वारा पूर्व राशि का गणना करके किराया लिया जा रहा है.
नोटिस जारी करने के निर्देश
निगम आयुक्त राजीव कुमार पांडेय ने बताया कि , साडा कार्यकाल के दौरान अच्छे-अच्छे मार्केट क्षेत्रों में दुकान होने के बाद भी किराया नहीं जमा किया जा रहा है. कुछ ऐसे भी व्यापारी है जो आवंटित दुकान को किराए में चला रहे हैं. जो नियम विरुद्ध है. व्यापारियों द्वारा आबंटित दुकान में व्यापार किया जा रहा है, लेकिन किराया नहीं जमा किया जा रहा है. ऐसे सभी लोगो को 15 दिवस के अंदर अपने सभी बकाया राशि को जमा कर देवे अन्यथा निगम द्वारा उन पर कार्रवाई करेगा. निगम के वेबसाईड में सभी बकायादारों की लिस्ट नाम एवं बकाया राशि जानकारी डाली जा रही है..
