भिलाई : नगर निगम में सफाई व्यवस्था के नाम पर जमकर बंदरबांट किया जा रहा है। हालत यह है कि 15 साल में भिलाई निगम का क्षेत्रफल घट गया, लेकिन सफाई की राशि घटने की जगह 7 गुना बढ़ गई। यह राशि 5 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्तमान में 34 करोड़ रुपए वार्षिक हो गई है। इसके बाद भी सफाई ठेकेदार न तो सफाई कर्मचारियों को समय पर वेतन दे पा रहा है और न ही कई महीनों से पीएफ की राशि जमा की गई।
यह नगर निगम साल 2000 में बना। पहली महापौर कांग्रेस की नीता लोधी बनी थीं। इसके बाद साल 2006 में बीजेपी के विद्यारतन भसीन महापौर बने। इनके समय में भिलाई निगम क्षेत्र की सफाई व्यवस्था का ठेका 5 करोड़ रुपए वार्षिक में हुआ। साल 2011 में फिर से कांग्रेस की निर्मला यादव महापौर बनी तो सफाई ठेके की राशि बढ़कर 8 करोड़ रुपए तक पहुंची थी।
साल 2016 में कांग्रेस के देवेंद्र यादव महापौर बने। इनके कार्यकाल में सफाई का ठेका डबल होकर सीधे 16 करोड़ रुपए वार्षिक हो गया। ठेका अचानक डबल क्यों हुआ आज तक निगम के सदन में इसका जवाब नहीं दिया गया। हद तो तब हो गई, जब साल 2021-22 में भिलाई नगर निगम के कई वार्ड टूटे और उससे रिसाली नगर निगम बनाया गया। भिलाई नगर निगम का क्षेत्रफल 30 प्रतिशत तक कम हो गया। इसके बाद भी निगम में सफाई का टेंडर कम होने की जगह फिर से डबल होकर 34 करोड़ रुपए पहुंच गया...
वार्डों में सफाई का हाल बेहाल
भिलाई नगर निगम में पिछले दो बार से एमआईसी मेंबर और सेक्टर 7 के पार्षद लक्ष्मीपति राजू स्वास्थ्य प्रभारी हैं। उनके रहते शहर की सफाई व्यवस्था तो नहीं बदली, लेकिन सफाई की राशि काफी हद तक बढ़ गई है। भाजपा के पार्षद पीयूष मिश्रा का यहां तक आरोप है कि पीवी रमन सफाई ठेका कंपनी भिलाई विधायक, महापौर और स्वास्थ्य प्रभारी के शह पर चल रही है। लगातार यह आरोप लगने के बाद भी न तो इन लोगों ने इसे लेकर कोई बयान दिया और न ही पीवी रमन पर कोई कार्रवाई की गई है...
ब्लैकलिस्ट कंपनी को दिया टाइम एक्सटेंशन
मेसर्स पीवी रमन को धमतरी और जगदलपुर नगर निगम में ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। नियम के मुताबिक ब्लैकलिस्ट कंपनी से राज्य में कहीं भी काम नहीं लिया जा सकता है, लेकिन भिलाई नगर निगम में इस सफाई कंपनी को 3 महीने का टाइम एक्सटेंशन दे दिया गया। इस बारे में भिलाई निगम के स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा का कहना है कि उन्हें अब तक इस संबंध में कोई पत्र नहीं मिला है.....
निगम की सामान्य सभा में वार्ड 38 के पार्षद पीयूष मिश्रा ने आरोप लगाया कि मेसर्स पीवी रमन ने अब तक सफाई कर्मचारियों को पीएफ और ईएसआईसी की राशि जमा नहीं की। उनके ऊपर लगभग 10 करोड़ का जमा बकाया है। पीयूष का आरोप है कि यदि सफाई कंपनी काम छोड़कर जाती है तो निगम के पास उसकी इतनी संपत्ति गारंटी में नहीं है कि वो उससे वसूली करके पीएफ की राशि को जमा कर सके। वहीं स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा का कहना है कि उनका 1 करोड़ रुपए के करीब पीएफ बकाया है। इसके चलते रमन का 68 लाख रुपए का भुगतान रोका गया है। सफाई ठेकेदार पीवी रमन का कहना है कि उनके द्वारा पूरी पीएफ की राशि जमा कर दी गई है....
स्कोप ऑफ वर्क में दिया गया ठेका
भिलाई नगर निगम में पीवी रमन से पहले जो सफाई ठेका होता था, उसके तहत हर वार्ड में 26 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाती थी। इसमें 4 कर्मचारी हर दिन वीक ऑफ में रहते थे। इस तरह 22 कर्मचारी वार्ड में सफाई व्यवस्था संभालते थे। इस बार निगम ने नियम को ताक में रखकर पीवी रमन को स्कोप ऑफ वर्क के तहत सफाई का ठेका दे दिया है। इस नियम के तहत सफाई ठेकेदार को सफाई व्यवस्था दुरुस्त रखना है। वह इसके लिए कितने कर्मचारी लगाएगा इसकी बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है....
इस बारे में सफाई कर्मचारियों का कहना है कि पिछले 6-7 माह से उनका पीएफ और ईएसआईसी की राशि जमा नहीं की गई है। इससे उन्हें मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि कई सफाई कर्मचारियों का पीएफ अकाउंट तक नहीं है। वो अपना यूएन नंबर मांगते हैं तो ठेकेदार द्वारा काम से हटाने की धमकी देकर भगा दिया जाता है.......