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डेंगू का प्रकोप कॉलोनियों, मोहल्लों, वार्डों में नहीं हो रहा दवा का छिड़काव 3 दिन में ही डेंगू के 15 मरीज...

Raipur : राजधानी में मानसून की शुरुआत के साथ ही शहर में मच्छरों की संख्या दोगुना से ज्यादा बढ़ गई है शहर में इसका असर भी दिखाई दे रहा है पिछले तीन दिन में सरकारी अस्पतालों में डेंगू के 15 मरीज भर्ती हो गए इतना ही नहीं निजी और सरकारी अस्पतालों में मलेरिया के मरीज भी रोज बड़ी संख्या में आ रहे हैं...

डॉक्टरों का कहना है कि अधिकतर लोग मच्छरों के काटने की वजह से ही बीमार हो रहे हैं निगम के एंटी मॉस्किटो अभियान की पड़ताल की तो पता चला कि निगम का मच्छर भगाओ अभियान केवल उन्हीं निचली बस्तियों में चल रहा है जहां बारिश में पानी भर जाता है शहर के वार्डों, मोहल्लों और गलियों में दवा तक का छिड़काव नहीं किया जा रहा है इतना ही नहीं फॉगिंग भी महीनों से बंद है यही वजह है कि मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है...

शहर में मच्छर न बढ़े इसलिए निगम के सभी जोन में वहीं के स्तर पर ही दवा की खरीदी की जाती है जोन अमला ही अलग-अलग वार्डों में इसका छिड़काव करता है इस काम की मॉनिटरिंग जोन कमिश्नरों को करना है लेकिन किसी भी जोन में यह काम नहीं हो रहा है स्वास्थ्य अमला किन-किन इलाकों में दवा का छिड़काव कर रहा है इसका रिकार्ड तक मेंटेन नहीं किया जा रहा है...

निगम ने पहले व्यवस्था बनाई थी कि जिस भी वार्ड में दवा का छिड़काव किया जा रहा है या फागिंग हो रही है उन वार्डों के पार्षदों और आम लोगों के हस्ताक्षर लिए जाए ताकि पता चल सके कि वार्डों में यह काम हो रहा है या नहीं? लेकिन इस सिस्टम को भी बंद कर दिया गया है कालोनियों और मुख्य सड़क वाले इलाकों में रहने वाले लोगों का दावा है कि उन्होंने कई साल से न तो दवा का छिड़काव देखा है और न ही फॉगिंग होते...

हर एक जोन में कर रहे करीब 15 लाख खर्च

मुख्यालय के अनुसार हर जोन में मच्छरों पर नियंत्रण के लिए करीब 15 लाख खर्च किए जाते हैं एक जोन में दस वार्ड होते हैं इस रकम को इन सभी वार्डों में खर्च करने का दावा किया जाता है, लेकिन कहीं भी यह काम नहीं हो रहा है लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला होने की वजह से यह भी छूट दी गई है कि इस बजट में खरीदी जोन वाले अपने ही स्तर पर यानी जोनवाइज की जा सकती है जानकारों का कहना है कि इस फंड का जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है आरोप है कि फॉगिंग मशीन चलाने के लिए जो डीजल मिलता है उसे पार्षदों की गाड़ी में डाल दिया जाता है...

हर जोन में 10 कर्मचारियों का होगा स्टाफ

कई तरह के दावे फेल होने के बाद मच्छरों पर नियंत्रण का काम नगर निगम अब ठेके में दे रहा है स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव यादव ने बताया कि महानगरों की तर्ज पर निगम अब मच्छरों पर नियंत्रण की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को सौंपने वाली है इसके लिए पिछले महीने 1.24 करोड़ का टेंडर जारी किया गया था 12 अगस्त को यह टेंडर खुलेगा...

इसमें चार कंपनियों ने हिस्सा लिया है तीन महीने के लिए नई एजेंसी नियुक्त की जाएगी इस दौरान कंपनी हर जोन में 10-10 का स्टाफ और एक सुपरवाइजर तैनात करेगी मच्छरों को भगाने के लिए पहली बार आउटसोर्सिंग का सहारा लिया जा रहा है हालांकि जानकारों का कहना है कि टेंडर प्रक्रिया में देर हो चुकी है बारिश के पहले इस काम को करना था अभी मानसून खत्म होने में करीब डेढ़ महीना बाकी है टेंडर प्रक्रिया और काम शुरू होने में कम से कम 15 दिन का समय और निकल

जाएगा...

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