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शहर के चारों दिशाओं में बेजा-कब्जा ....हर एंट्री पाइंट की सरकारी जमीन में कब्जे मिलेंगे...

बिलासपुर : शहर के चारों दिशाओं में बेजा-कब्जा है हर एंट्री पाइंट में कब्जे मिलेंगे सरकारी जमीन पर कहीं झोपड़ी बनाकर तो कहीं पक्के मकान या दुकानें बनाकर कब्जा किए गए है निगम सिर्फ उन्हीं जगहों पर कार्रवाई करती है, जहां उन्हें प्रोजेक्ट लाना है कब्जा करने वाले अधिकांश लोग बाहरी हैं... 

सीपत होते शहर आने पर मोपका से लिंगियाडीह तक अवैध कब्जे हैं इसी तरह उसलापुर, तिफरा और लाल खदान में जहां से शहर के लिए प्रवेश करते हैं, वहां से अवैध कब्जे शुरू हो जाते हैं ये क्षेत्र निगम में शामिल हो चुके हैं, फिर भी निगम की और से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है यही कारण है कि अवैध कब्जे के कारण सरकारी जमीनें सिमट कर रह गई है बांस-बल्ली से अवैध कब्जा शुरू होता है, जो निगम की नाकामी के चलते पक्के मकान और दुकान में समाप्त होता है

यानी कब्जाधारी बांस-बल्ली लगाकर कब्जा शुरू करते हैं, फिर ठेला-गुमटी लगा लेते हैं। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर कुछ दिनों में झाेपड़ी और फिर पक्के निर्माण हो जाते हैं शहर के एंट्री पाइंट में ऐसे सैकड़ों लोग मिलेंगे जो सरकारी जमीनों पर कई सालों से कब्जा किए हुए बैठे हैं, लेकिन निगम की टीम कुछ ही जगहों पर कार्रवाई कर रही है.... 

ठेले-गुमटी हैं पहला स्टेप

उसलापुर और सकरी से जैसे ही शहर के लिए प्रवेश करते हैं, यहां एंट्री पाइंट में सड़क के किनारे कई अवैध दुकानें है, जो महज दो से तीन साल के भीतर बन गई है कब्जाधारियों ने पहले यहां ठेले-गुमटी रखकर कब्जा किया था इसके बाद कार्रवाई नहीं होने से दुकानें बना दी गई है कई पक्की दुकानें भी बन गई है यह खेल निगम में शामिल होने के पहले से चल रहा है.... 

50 को नोटिस पर कार्रवाई नहीं

रायपुर रोड से शहर की ओर आने पर तिफरा के पहले सड़क किनारे अवैध कब्जा है यहां कब्जा रसूखदारों का है यहां मेन रोड के किनारों पर बड़ी-बड़ी दुकानें बनी हुईं हैं, जो सामने की सरकारी जमीन पर कब्जा किए हुए हैं नगर निगम ने कुछ समय पहले 50 से अधिक लोगों को नाेटिस जारी कर दस्तावेज मंगाया था पर कार्रवाई नहीं और मामला ठंडे बस्ते में चला गया.... 

कब्जे करने के अलग-अलग तरीके

लिंगियाडीह में सरकारी जमीन पर तरह-तरह के कब्जे हैं यहां कुछ जगहों पर कबाड़ फैलाकर कबाड़ियों ने कब्जा कर लिया है तो किसी ने झोपड़ी और पक्के मकान बनाकर कब्जा किए हुए हैं यही हाल शहर के अनेक हिस्सों में है ठेला, गुमटी और कबाड़ रखकर सरकारी जमीनों पर कब्जे किए जाते हैं, फिर देखते ही देखते वहां पक्के निर्माण बन जाते हैं, फिर इसे तोड़ना मुश्किल हो जाता है.... 

उदासीनता पड़ सकती है भारी

लालखदान से शहर की ओर आने पर अपेक्षाकृत कब्जे कम है इस रोड पर दुकान संचालक सड़क पर सामान फैलाकर रखते हैं एंट्री पाइंट पर कुछ ठेले और गुमटियां है इसके अलावा पाॅवर हाउस चौक पर सड़क किनारे कब्जा ठेले और पसरा वालों का कब्जा रहता है यदि निगम की टीम समय रहते कार्रवाई करेगी तो स्थाई कब्जा होने में देर नहीं लगेगी भुगतेगी आम जनता ही । 



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