भोपाल : गिन्नौरी, तलैया, जहांगीराबाद और बाग मुगालिया सहित शहर के कई इलाकों में दिन में 2 से 3 बार पानी सप्लाई होता है, क्योंकि यहां पानी की पाइप लाइन का डबल नेटवर्क बिछा हुआ है। यही नहीं, यदि निगम के जलकार्य विभाग की छोटी-छोटी फाइलों की जांच हो जाए तो पता चलेगा कि पिछले 10 सालों में कई किमी पाइप लाइन केवल कागजों पर ही बिछ गई।
तमाम कोशिशों के बावजूद निगम में छोटे-छोटे कार्यों की ऑनलाइन फाइलिंग शुरू नहीं हो पाई है। नतीजा यह रहा कि निगम के इंजीनियर 50-50 हजार रुपए की फाइलें बनाकर बजट को ठिकाने लगाने में नहीं हिचकते। एडीबी से मिले लोन से प्रोजेक्ट उदय के नाम पर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क में सुधार पर 400 करोड़ रुपए खर्च हुए।
डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पर जेएनएनयूआरएम के तहत 630 करोड़ रुपए खर्च हुए। इसके बाद कोलार क्षेत्र में केरवा डैम से पानी सप्लाई के लिए 52 करोड़ रुपए और खर्च किए गए हैं। इसमें नर्मदा की मेन लाइन का खर्चा शामिल नहीं है। हर बार यह कहा गया कि शहर बढ़ रहा है, इसलिए पाइप लाइन बिछाई जा रही है, लेकिन शहर की पुरानी बसाहटों जैसे शाहपुरा, जहांगीराबाद, तलैया, मंगलवारा, चौक आदि क्षेत्रों में भी पाइप लाइन बिछाई गई।
तत्कालीन महापौर आलोक शर्मा के निवास वाले क्षेत्र में कम दबाव से पानी की शिकायत मिलने पर जब निगम के वरिष्ठ अफसरों के सामने खुदाई की गई तो वहां 4 लाइनें मिली थीं। इस पर पूछताछ होने पर इंजीनियरों ने गोलमोल जवाब देकर मामले को रफा-दफा कर दिया था।
रिकॉर्ड पर सिर्फ एक का उपयोग
भोपाल उन बिरले शहरों में शामिल है जहां पानी सप्लाई के 4 नेटवर्क हैं। शिवाजी नगर, तुलसी नगर जैसे नए शहर के इलाकों में बड़ा तालाब, कोलार और नर्मदा तीनों से पानी आता है। तलैया व आसपास के पुराने शहर के कई इलाकों में बड़ा तालाब, कोलार दोनों से सप्लाई।
जलसंकट वाले सालों में फाइलों में बिछती है लाइन
शहर में पानी सप्लाई की पाइप लाइनों की हकीकत को इसी से समझी जा सकता है कि बड़ा तालाब, कोलार और नर्मदा के साथ केरवा यानी चार बड़े स्रोत से पानी सप्लाई के बावजूद शहर में 100 से अधिक ट्यूबवेल से भी पानी सप्लाई हो रहा है। इन ट्यूबवेल से सप्लाई के लिए स्थानीय स्तर पर पाइप लाइन बिछाई गई हैंं।
दरअसल, जिस साल बरसात कम होती है, उस साल पानी का दबाव कम होने आदि के नाम पर एस्टिमेट तैयार होता है। खास तौर से अवैध कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में यह कहकर पाइप लाइन बिछाने की फाइल बनती है कि बसाहट बढ़ गई है। इस तरह के गड़बड़झाले भी किए जा रहे हैं।
निगम के पास नहीं है ब्लू प्रिंट
नगर निगम के पास शहर में बिछी हुईं पाइप लाइन का कोई ब्लू प्रिंट नहीं है। वार्ड और जोन स्तर पर बिछी हुई पाइप लाइन ही नहीं बल्कि मेन पाइप लाइन को लेकर भी निगम के इंजीनियरों के पास पक्की जानकारी और नक्शा नहीं है। कमला पार्क क्षेत्र में लीकेज होने पर हर नेटवर्क का वॉल्व बंद करने के बाद कंफर्म होता है कि आखिर यह लाइन किस नेटवर्क की है।